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Saturday 19 April 2014

VishwaSevaDiwas - 63


VishwaSevaDiwas – 62



आश्रम के सेवाकार्यों की झलक
सत्संगः देश-विदेश में सदविचारों, सुसंस्कारों, यौगिक क्रियाओं व स्वास्थ्यप्रद युक्तियों का ज्ञान बाँटा जा रहा है। असंख्य लोग असाध्य रोगों से मुक्ति पा रहे हैं। ध्यान योग शिविरों में कुंडलिनी योग व ध्यान योग द्वारा तनाव व विकारों से छुटकारा दिलाकर लोगों की सुषुप्त शक्तियों को जागृत किया जाता है। विद्यार्थी उत्थान शिविरः इनमें पूज्य बापूजी के सान्निध्य में विद्यार्थियों को ज्ञान-ध्यान-यौगिक क्रियाओं का प्रसाद प्राप्त होता है। सत्साहित्य प्रकाशनः आश्रम द्वारा 14 भाषाओं में 345 पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है। मासिक पत्रिका ʹऋषि प्रसादʹ 7 भाषाओं में प्रकाशित की जा रही है। मासिक पत्र ʹलोक कल्याण सेतुʹ भी प्रकाशित होता है। बाल संस्कार केन्द्रः ये 18000 केन्द्र विद्यार्थियों में सुसंस्कार सिंचन में रत हैं। पिछड़े लोगों का विकासः गरीबों, आदिवासियों को नियमित निःशुल्क अनाज-वितरण, भंडारे (भोजन-प्रसाद वितरण), अनाज, वस्त्र, बर्तन, बच्चों को नोटबुकें, मिठाई प्रसाद आदि का वितरण तथा नकद आर्थिक सहायता देने का कार्य बड़े पैमाने पर होता है। प्याऊः सार्वजनिक स्थलों पर शीतल छाछ व जल का निःशुल्क वितरण होता है। ʹभजन करो, भोजन करो, रोजी पाओʹ योजनाः जो बेरोजगार या नौकरी-धंधा करने में सक्षम नहीं हैं उन्हें सुबह से शाम तक जप, कीर्तन, सत्संग का लाभ देकर भोजन और रोजी दी जाती है ताकि गरीबी, बेरोजगारी घटे व जप-कीर्तन से वातावरण की शुद्धि हो। आपातकालीन सेवाः अकाल, बाढ़, भूकंप, सुनामी तांडव सभी में आश्रम ने निरंतर सेवाएँ दी हैं। गौ-सेवाः विभिन्न राज्यों में 9 बड़ी गौशालाओं का संचालन हो रहा है, जिनमें कत्लखाने ले जाने से रोकी गयीं हजारों गायों की सेवा की जा रही है। ʹयुवा सेवा संघʹ तथा युवाधन सुरक्षा व व्यसनमुक्ति अभियानः इनसे युवाओं को मार्गदर्शन मिल रहा है तथा व्यसनों के व्यसन छूट रहे हैं। चिकित्सा-सेवाः निर्दोष चिकित्सा पद्धतियों से निष्णात वैद्यों द्वारा उपचार किये जाते हैं। ʹनिःशुल्क चिकित्सा शिविरोंʹ का आयोजन होता है। दूर-दराज के आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में चल-चिकित्सालय जाते हैं। अस्पतालों में सेवाः मरीजों में फल, दूध व दवाओं का वितरण किया जाता है।

Friday 18 April 2014

VishwaSevaDiwas – 61


  VishwaSevaDiwas की हार्दिक शुभकामनायें
विश्व सेवा जो कर रहे बापूजी निंदक कभी कर सकेंगे क्या ?